पाकिस्तान की सरकार ने ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन के निर्माण को हरी झंडी दे दी है। पाकिस्तान कैबिनेट ने ऑन एनर्जी द्वारा फरवरी के बाद नई सरकार के गठन से पहले ही मंजूरी दे दी है। पैसे की संकट से जूझ रहे देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतो को पूरा करने में मदद मिलेगी। कैबिनेट कमेटी ऑन एनर्जी द्वारा फरवरी के बाद नई सरकार के गठन से पहले ही मंजूरी दे दी है।
ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन के निर्माण को मंजूरी-
Govt. Official बयान में कहा गया कि पाकिस्तान सरकार ने ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन के निर्माण को मंजूर कर दिया है! समिति ने पेट्रोलियम डिवीजन की एक सिफारिश पर काम करते हुए पहले चरण में पाकिस्तान-ईरान सीमा से शुरू होकर बलूचिस्तान के बंदरगाह शहर ग्वादर तक परियोजना की शुरुआत का समर्थन किया है। आधिकारी बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान के लोगों को गैस आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए सरकार मंजूरी दी, जिससे देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सके।
जुर्माने के डर से पाकिस्तान ने उठाया कदम–
यह एक महत्वपूर्ण परियोजना है जो पाकिस्तान के ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने और स्थानीय उद्योग को उत्साहित करने में मदद कर सकती है। बलूचिस्तान प्रांत में इस परियोजना से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने की संभावना है, जो पाकिस्तान की समग्र आर्थिक प्रगति में सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
हालांकि, मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि परियोजना को समय पर पूरा करने में विफल रहने पर 18 अरब अमेरिकी डॉलर के संभावित जुर्माने के डर से पाकिस्तान को कई वर्षों की देरी के बाद काम शुरू करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। लेकिन पाकिस्तान को इस परियोजना को बेहतरीन ढंग से पूरा करने के लिए तैयार रहना चाहिए ताकि उसकी ऊर्जा सुरक्षा मजबूत हो सके और उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके। वैसे भी पकिस्तान मीडिया के अनुसार पाकिस्तान की स्थिति अच्छी नहीं है वह पैसे के कमी के कारन अपनी देश नहीं चला पा रहे है!
अमेरिका के प्रतिबंधों के चलते रुकी थी परियोजना-
अंतरराष्ट्रीय अदालतों में मुकदमेबाजी से बचने के उद्देश्य से ईरान ने सितंबर 2024 तक 180 दिन का समय दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पाइपलाइन परियोजना से संबंधित अपने अधिकारों की रक्षा के लिए ईरान द्वारा कार्रवाई की जाती है तो पाकिस्तान और ईरान के बीच राजनयिक संबंध तनावपूर्ण हो सकते हैं। इस परियोजना की शुरुआत में भारत-पाकिस्तान-ईरान गैस पाइपलाइन के रूप में कल्पना की गई थी, पाक-ईरान पाइपलाइन परियोजना द्वारा भारत की अवरुद्धता के कारण भारत ने इससे वापस हट गया है, लेकिन यह परियोजना पाक-ईरान के बीच एक द्विपक्षीय सहयोग के रूप में अब भी महत्वपूर्ण है। इस परियोजना रुकावट के पीछे अमेरिकी प्रतिबंधों का प्रभाव भी है, जो पाकिस्तान को प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने से रोक रहा है!!