यूनाइटेड अरब इमिरेट्स (यूएई) ने अपने धर्मिक और सांस्कृतिक विविधता को और अधिक विश्वस्त बनाने का निर्णय लिया है, जब उन्होंने अबू धाबी में पहला हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया। यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व का प्रतीक है, बल्कि यह भारत और यूएई के रिश्तों को और भी मजबूत करेगा।
अबू धाबी में स्थित इस मंदिर के विशाल स्वामीनारायण मंदिर क्षेत्र की उपस्थिति अद्वितीय है। इस मंदिर के निर्माण का श्रेय यूएई सरकार को जाता है, जो ने इसे आवासीय क्षेत्र में 27 एकड़ जमीन के रूप में अनुदान किया। इस साहसिक कदम से, यूएई ने अपने देश के सांस्कृतिक और धार्मिक विकास को प्रोत्साहित किया है, और भारत और यूएई के बीच सजीव आदान-प्रदान को और भी मजबूत किया है।
यूएई का यह कदम विशेष रूप से अद्वितीय है, क्योंकि यह देश इस्लामिक संस्कृति के मुख्य धर्म और संस्कृति से परिचित है। यहां के धार्मिक और सांस्कृतिक मिलन के तत्व इसे अन्य इस्लामिक देशों से अलग बनाते हैं। यूएई ने अपने क्षेत्र में राजनैतिक गुटों को बैन करने का भी निर्णय लिया है, ताकि देश विविधता और सहिष्णुता के माहौल में बना रहे।
अमीरात में दुनिया भर के अनेक देशों के नागरिक अपने कर्म की तलाश में आते रहते हैं। खासकर दुबई और अबू धाबी जैसे शहरों में ज्यादातर आबादी बाहरी लोगों की है। यूएई की 9.1 मिलियन जनसंख्या में से केवल 11 प्रतिशत नागरिक हैं, बाकी विदेशी लोग हैं। मुस्लिम समुदाय यहां सबसे अधिक हैं, लेकिन क्रिश्चियन समुदाय भी बड़े पैमाने पर मौजूद हैं। हिंदू, सिख, बुद्धिस्ट और अन्य धर्मों के अनुयायी भी यहां रहते हैं, जिनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है।
अबू धाबी में हिंदू मंदिर का उद्घाटन एक ऐतिहासिक कदम है जो यूएई की धार्मिक सहिष्णुता के प्रतीक है। यह उपक्रम न केवल हिंदू समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह यूएई और भारत के बीच दोस्ती और साझेदारी को भी मजबूत करेगा। इस नए मंदिर के उद्घाटन से, यूएई ने विविधता, सहिष्णुता और सांस्कृतिक समृद्धि के संकेत का संदेश दिया है, जिससे यह विश्व में एक अद्वितीय स्थान बनाता है।